अद्भुत, आलोकित व संपूर्ण
```श्री अमल कुमार झा``` जी की उत्कृष्ट उपस्थिति में ```"मिथिला के ज्ञान के माध्यम से, लोक संस्कृति : भारतीय दृष्टिकोण एवं समझ"``` पर आयोजित परिचर्चा सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
परिचर्चा में मिथिला के इतिहास तथा भारतीय दर्शन में योगदान , संस्कृति तथा लोक सहः अस्तित्व में भिन्नता तथा इसके विभिन्न आयामों , ग्रामीण रेणु तथा संस्कारों के महत्व , लोकाचार,विश्वास एवम प्रमाण की बहस , भाई बहन के सौम्य प्रेम को प्रदर्शित करती साम्ब - श्यामा कहानी , हर कंकड़ में शिव शंकर जैसे विभिन्न तथ्यों तथा इनके आयामों पर प्रकाश डाला गया।
इसके साथ साथ हम झा जी के अपने व्यस्ततम समय से कुछ पल निकालकर हमारे साथ विभिन्न आयामों के परिचर्चा में सहभागी बनने के लिए सदैव आभारी रहेंगे तथा भविष्य में पुनः बनारस आगमन पर इस प्रकार की परिचर्चा के आयोजन तथा उपस्तिथि के आकांक्षी रहेंगे।
```हम स्वयं को अति सौभाग्यशाली मानते हैं कि डॉ झा के व्यक्तित्व से परिचित होने का अवसर प्राप्त हुआ तथा आप सभी के सहयोग हेतु धन्यवाद।```
आप से फिर रूबरू होंगे। तब तक के लिए मुस्कुराते रहिये, पढ़ते रहिये।
सस्नेह,
द डिस्कॉर्स
एक छात्र केंद्रित सोसायटी, बीएचयू।